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अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रहा है लेकिन राम मंदिर को लेकर 500 सालों से भी ज्यादा समय से विवाद चल रहा था।
इतिहासकार का मानना है कि भारत में मुगल शासक बाबर के आने के बाद उनके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में 1528-29 में राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई थी।
इसके बाद से ही हिंदू संगठन द्वारा राम मंदिर बनाने का संघर्ष जारी था।
6 दिसंबर 1992 को एक रैली के दौरान बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया गया था। इसके बाद यह मामला कोर्ट में चला गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को राम जन्मभूमि को लेकर फैसला दिया था कि इसको तीन भागों में बांट दिया जाए। जिसमें एक भाग हिंदू महासभा, एक भाग सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा को दे दिए जाय।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया जहां पर 9 नवंबर, 2019 को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला हिंदू के पक्ष में सुनाया। साथ ही वह जमीन ट्रस्ट को सपना का आदेश दिया। जिसके बाद राम मंदिर का निर्माण किया गया।
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