Marcos Commando: मार्कोज कमांडो भारतीय सेना में सबसे खतरनाक सेनाओ में से एक है। Marcos Commando समुद्र में देश के खिलाफ चल रहे संयंत्र को रोकता है। यह भारतीय नौसेना का ही एक हिस्सा है। मार्कोज कमांडोज समुद्र में रेस्क्यू ऑपरेशन कौन अंजाम देता है।
हाल ही में भारत के Marcos Commando ने एक विशेष अभियान के तहत अरब सागर मेंहाईजैक हुए कार्गो शिप एमवी लीला नोर्फोक को 24 घंटे के भीतर बचा लिया। जहाज पर सवार 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को भी सुरक्षित बचा लिया गया।
Marcos Commando कौन होते हैं ?
भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो यूनिट को मार्कोस कहते है। इस यूनिट का आधिकारिक नाम मरीन कॉर्प्स स्पेशल फोर्सेज (MCF) है।
मार्कोस कमांडो यूनिट की स्थापना 1987 में भारतीय नौसेना द्वारा की गई थी। इन सुरक्षा बलों का गठन देश की के सुरक्षा बलों, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), वायु सेना गरुड़ और सेना पैरा स्पेशल फोर्स के तर्ज़ पर किया गया था। मार्कोस या मरीन कमांडो फोर्स नौसैनिकों से बनी एक सेना है जिसका प्रशिक्षण सबसे चुनौतीपूर्ण होता है।
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कैसे बने मार्कोज कमांडो?
मार्कोज कमांडो में भर्ती के लिए सबसे पहले भारतीय नौसेना में काम कर रहे उन युवाओं को लिया जाता है, जो बेहद मुश्किल हालात में खुद को साबित कर चुके हों।
पहले राउंड में भर्ती के बाद मार्कोज कमांडो को 10-सप्ताह का इनिशियल क्वालिफिकेशन ट्रेनिंग होता है। इस ट्रेनिंग में रात में जागना और कई दिनों तक बिना खाए-पिए अभियानों में भाग लेने की सहनशक्ति हासिल करना सिखाया जाता है।
इसके बाद तीसरे स्टेज की ट्रेनिंग होती हैं जो कि तीन साल की होती हैं। इस ट्रेनिंग में सैनिकों को हथियारों और भोजन के साथ पहाड़ों पर चढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें हवा, जमीन और समुद्र में दुश्मनों को नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और उन्हें दलदल जैसी जगहों से बचना सिखाया जाता है।
और आखरी स्टेज पर सैनिक को को आधुनिक हथियार चलाना सिखाया जाता है. इसके अलावा तलवारबाजी और तीरंदाजी जैसे पारंपरिक हथियारों को चलाना सिखाया जाता है।